व्यक्ति किन्ही विशेष व्यवहारों को अधिक सहजता एवं शीघ्रता से क्यों करता है? ये मनोवैज्ञानिकों के लिये सदैव चुनौतीपूर्ण रहा है। मनोवैज्ञानिक मैकडूगल ने मूल प्रवृत्तियों के आधार पर व्यक्ति के व्यवहार को स्पष्ट करने का प्रयास किया। परन्तु आधुनिक मनोवैज्ञानिक मूल प्रवृत्ति को व्यवहार का कारण स्वीकार नहीं करते। इनके अनुसार मूल प्रवृत्तियाँ किसी जाति विशेष के व्यवहार प्रतिमानो को व्यक्त करती है जो जाति विशेष के समस्त सदस्यों में विद्यमान होती है। ये मूल प्रवृत्तियाँ प्राणी के प्रायः दैहिक व संवेगात्मक पक्षों से सम्बन्धित व्यवहारों को संचालित करने में तो भूमिका अदा करती हैं, परन्तु संवेगात्मक एवं सामाजिक पक्षों से सम्बन्धित व्यवहारों में इनकी अल्प भूमिका ही होती है। आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार प्राणी के विभिन्न व्यवहारों को संचालित, निर्देशित एवं संगठित करने वाली मुख्य शक्ति अभिप्रेरणा है। प्राणियों के द्वारा किये जाने वाले विभिन्न व्यवहारोें को समझने तथा उनसे सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करने में अभिप्रेरणा का ज्ञान अत्यन्त महत्वपूर्ण व सार्थक सहायता प्रदान कर सकता है। अभिप्रेरणा एक ऐसी परिकल्पनात्मक प्रक्रिया है जो प्राणि के व्यवहार के निर्धारण एवं संचालन से सम्बन्ध रखती है अभिप्रेरणा का शाब्दिक अर्थ किसी उत्तेजना के फलस्वरूप उत्पन्न प्राणी का व्यवहार है। मनोवैज्ञानिक अर्थ में अभिप्रेरणा एक आन्तरिक शक्ति है, जिसका अनुमान व्यक्ति या प्राणी को देखकर ही लगाया जा सकता है। व्यक्ति की उपलब्धि उसकी योग्यता व अभिप्रेरणा का योग होती है। अभिप्रेरणा एक मानसिक स्थिति या अवस्था है व अभिप्रेरक इसके कारण स्वरूप होते हैं। अभिप्रेरणा किसी आवश्यकता से प्रारम्भ होकर उसकी पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति पर समाप्त होती है। सामान्यतः लोग मानव व्यवहार का आधार उनकी मूल प्रवृत्तियों को मानते हैं, किन्तु मनोवैज्ञानिकों के अनुसार मानव व्यवहार कुछ प्रेरक शक्तियों के द्वारा संचालित होता है जिन्हे प्रेरणा या अभिप्रेरणा कहा जाता है। चँूकि हमारा प्रत्येक व्यवहार या प्रतिक्रिया किसी न किसी उत्तेजना पर आधारित होता है, ये उत्तेजना, आन्तरिक एवं बाह्य दोनों ही हो सकती है। व्यक्ति की उपलब्धि उसकी योग्यता एवं अभिप्रेरणा का योग होती है।
कुर्टलेविन के क्षेत्र सिद्धान्त के अनुसार अधिगम के विकास में अभिप्रेरणा को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। व्यक्ति के अभिप्रेरणात्मक व्यवहार में उसके तात्कालिक सामाजिक क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मानव व्यवहार व्यक्ति तथा उसके वातावरण की अंतःक्रिया का परिणाम होती है।
अभिप्रेरणा का परिभाषा-
सी0वी0 गुड के अनुसार, ”अभिप्रेरणा कार्य प्रारम्भ करने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।“
मैक्डूगल के शब्दों में- ”प्रेरणायें मनुष्य के भीतर की वे शारीरिक व मानसिक अवस्थायें है, जो किन्हीं विशेष अवस्थाओं में कार्य करने के लिये प्रेरित करती है।“
अभिप्रेरणा के प्रकार-
मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरणा का वर्गीकरण निम्नलिखित रूपों में किया है-
मैसलों के अनुसार- 1- जन्मजात अभिप्रेरणा।
2- अरजित अभिप्रेरणा।
गैरेट के अनुसार- 1- जैविक अभिप्रेरणा।
2- मनोवैज्ञानिक अभिप्रेरणा।
3- समाजिक अभिप्रेरणा।
थॉमसन के अनुसार1- 1- स्वाभाविक अभिप्रेरणा।
2- कृतिम अभिप्रेरणा।
अभिप्रेरणा के स्रोत- मनोवैज्ञानिकों ने अभिप्रेरणा के चार प्रमुख स्रोत बताये है-
1. आवश्यकतायें 2. चालक या अर्न्तनोद
3. प्रोत्साहन या उद्दीपन 4. अभिप्रेरक
अभिप्रेरणा का महत्व– प्रत्येक कार्य या व्यवहार के पीछे कोई न कोई अभिप्रेरणा अवश्य होती है। अतः मानव जीवन में अभिप्रेरणा का अत्यधिक महत्व है। मनोवैज्ञानिक गेट्स ने अभिप्रेरणा के तीन कार्य बताये है-
1. व्यवहार शक्तिशाली बनाना।
2. व्यवहार को निश्चित करना।
3. व्यवहार का संचालन